भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लौट आमंगे सब सफर बारे / नवीन सी. चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:09, 1 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लौट आमंगे सब सफर बारे।
हाँ ‘नवीन’ आप के सहर बारे॥

आँख बारेन कों लाज आबैहै।
देख’तें ख्वाब जब नजर बारे॥

नेंकु तौ देख तेरे सर्मुख ही।
का-का कर’तें तिहारे घर बारे॥

एक कौने में धर दियौ तो कों।
खूब चोखे तिहारे घर बारे॥

रात अम्मा सों बोलत्वे बापू।
आमत्वें स्वप्न मो कों डर बारे॥

खूब ढूँढे, मिले न सहरन में।
संगी-साथी नदी-नहर बारे॥

जहर पी कें सिखायौ बा नें हमें।
बोल जिन बोलियो जहर बारे॥