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ओ आ पाठ पढ़ाबोॅ नै अमरेन्दर केॅ / अमरेन्द्र

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ओ आ पाठ पढ़ाबोॅ नै अमरेन्दर केॅ
जरबा जरी, जराबोॅ नै अमरेन्दर केॅ
कहिया पड़लै अमरेन्दर दल-वादोॅ में
टिन में ठूंसी अटाबोॅ नै अमरेन्दर केॅ
देखथैं रचनाकार सभा सें हड़कै छै
यै लेॅ कहौं बुलाबोॅ नै अमरेन्दर केॅ
अमरेन्दर जे फूल बिछाबौं तोरा लेॅ
है रं पीन गड़ाबो नै अमरेन्दर केॅ
अमरेन्दर की कोॅ-खोॅ-घोॅ वर्ण छेकै
रब्बड़ लै केॅ मिटाबोॅ नै अमरेन्दर केॅ
जहिया होतौं लानियोॅ महुआ कंटर भर
अक्षत नीर चढ़ाबोॅ नै अमरेन्दर केॅ
ऐलोॅ छौं इतिहास गढ़ै लेॅ अमरेन्दर
थाथी रखोॅ बोहाबोॅ नै अमरेन्दर केॅ
कहतें कहतें गजल अभीये सुतलोॅ छै
गढ़िया नीन जगावोॅ नै अमरेन्दर केॅ

-23.10.91