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जेना जेना केॅ हमरोॅ देह खमसलोॅ गेलै / अमरेन्द्र

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जेना जेना केॅ हमरोॅ देह खमसलोॅ गेलै
मोॅन जीयै लेॅ होन्है आरो बहसलोॅ गेलै
जिनगी छप्पर जकां ई खोॅर के बनलोॅ छेलै
जै पेॅ मिरतू केन्होॅ जोरोॅ सें धमसलोॅ गेलै
है तेॅ खोपा में रखी फूल सजाबै लेॅ छेलै
गोड़ के तोॅर रखी केना हुमचलोॅ गेलै
कुल केॅ जेागबोॅ बड़ा कठिन छै नै जोगेॅ पारलौं
ई पटोरी छेलै पोशाकी मसकलोॅ गेलै
बालू में भीत खड़ा करलेॅ रहियै हम्में सब
सुखथैं झोका सें हवा केॅ ई भसकलोॅ गेलै
जैठां गोय्यों के साथ डोॅर लागेॅ जाबै में
वांही अमरेन्द्र केॅ देखोॅ कि असकलोॅ गेलै

-22.2.92