कोठीडींडा / कुंदन अमिताभ
बौंसी सें लछमीपुर डैम
आरो ओकर्हौ सें आगू
टेढ़ऽ पक्की सड़क पेॅ
खूब दरबन लगैला सें
भेंटाय छै
संथाल भूमि पेॅ विछलऽ
असीम पगडंडी केरऽ जाल
एकरै में एगो जाय छै
नद्दी पार
थकलऽ हारलऽ पहुँची केॅ
जैन्जा मऽन होथौं
जिराबौं
कि लौकेॅ लागथौं तोरा
कोठीडींडा।
सरपट डेग बढ़ैनेॅ
चल्लऽ जैभो
सोचभौ मिलेॅ एक चुरू पानी
पता लागथौं
घैला लेॅ केॅ
कोय गेलऽ छै जोर
वै में ऐथौं
पानी किधोर
पीभौ तोंय
छहो घमाघमजोर
पानी आरो प्राण केरऽ
अजीब यहाँ रिश्ता छै
नै पीला पेॅ
हठात इ छूटै छै
पीला पेॅ थमी-थमी टूटै छै
जोहार करथौं लोगें
बात करथौं भीतें
भीती केरऽ जड़ी में
हर घरऽ में पुष्टा छै
पालथी मारी केॅ बैठऽ
भीतयै में सौसे खिस्सा छै
मोर सें लेॅ केॅ बाघ
हिरण सें लेॅ केॅ खरगोश
पत्ता भरलऽ गाछ
मेंहदी भरलऽ हाथ
सब भीती केरऽ हिस्सा छेकै
एकरा बचाबऽ
यहेॅ शायद शिक्षा छेकै।