भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कपचन / कुंदन अमिताभ
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:16, 9 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुंदन अमिताभ |अनुवादक= |संग्रह=धम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कपचन बनै सें
बचै के भरसक
कोशिश करै छियै
तभियो कपचन
बनी जाय छियै
जखनी-तखनी लोगें
आपनऽ-आपनऽ
हिसाबऽ सें
कपची-कपची केॅ
कपचन बनाय लै छै
सौंसे देखना
कम्मै केॅ
बर्दाश्त होय छै।