गरहन लागै वाला छै
सूरज केॅ
दिवाली दिना
वैज्ञानिकेॅ हिसाब लगैलकै
आरो फुसफुसाय देलकै
कानऽ में
टी.वी., रेडियो आरो अखबार केरऽ
जानी गेलै सभ्भैं
सैंसे धरती विचलित होलै
आरो भारत में तेॅ
एक दिना पहिनै
मनाय लेलऽ गेलऽ सुखरात
सुखरात केरऽ नितरैलऽ रात
के बाद
बाट जोहेॅ लागलऽ
सरंग में एगो
दुर्लभ आरो विलक्षण
संजोग घटै केरऽ।
अखनी तेॅ उभरले छेलै
प्राण प्रदाता
शाश्वत प्रकाशपुँज
महाउर्जाशाली
अक्षय अनंत
कि लगलै
जेना लेबझाय गेलै
ओकरऽ डेग कलेॅ-कलेॅ
अन्हारऽ के भँवर में
बझले चल्लऽ गेलै
सौंसे के सौंसे
खग्रास सूर्य गरहन।
सचमुच्च
अखनी-अखनी फैललऽ
भेरकऽ उजास
साँझकऽ गोधूलि में सनी केॅ
गुज्ज-गुज्ज अन्हारऽ में
हेराय गेलै।
दानवीर कर्ण केरऽ
महानतम दानी पिता सूरज
खग्रासौं में देॅ रहलऽ छै
धरती केॅ हीरा के छल्ला।
तनी देर आरू बीतलै
चलायमान चाँद आरो
चलायमान धरती
तनी आरू चललै सूरज
मगर
अडिग स्थिर रहलै
उजाला सरंग में
आस्तें-आस्तें फेरू फैललै
दुनियाँ देखलकै
अंधकारहीन-सर्वाधिक बलवान
धरती केरऽ धूरीकेन्द्र
महानतम आस्था केरऽ प्रतीक
विनम्रता केरऽ विशालतम मूरत
व्यवस्थित दृष्टिनिष्ठा केरऽ अद्भुत तीरथ
सूरज केॅ गरहन में
आरो मनन चिन्तन में डूबी गेलै
सूरजौ केॅ गरहन लगेॅ सकै छै
मगर गरहनौ में सूरज
जैन्हऽ विलक्षण नजर आबै छै
वैन्हऽ कि आरो कोय नजर आबै छै?