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हथिया नछत्तर केरऽ बरसा / कुंदन अमिताभ

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चूसी होठऽ के सब मुस्कान
जलामय कस्लकै सब खेत खलिहान
लगैलकै किसानऽ के गरदन में फरसा
हथिया नछतर केरऽ इ बरसा।
दोहराय तेहराय बिचड़ऽ बुनलऽ गेलै
तहु पर नै एगो गाछ नजर ऐलै
हाय बफाट करै किसान टुटलै सब आशा
किसानऽ के जीवन बनैलकै तमाशा
हथिया नछत्तर केरऽ इ बरसा।
झरपानी सें भरलऽ पहिनै सें नद्दी
खुललै ओकरा पर बडुआ डैमऽ के फाटक
भाँसल जाय छै लागलऽ फसल सब
घरऽ ताँय ऐलऽ बोहऽ दुबारा
हेलेॅ लागलै कूड़ा करसा
हथिया नछत्तर केरऽ इ बरसा।
सौंसे बिहार केॅ चेरापूँजी बनैलकै
पत्र-पत्रिका केरऽ ढेरे पन्ना रंगलकै
नै टूटै वाला रेकर्ड बनैलकै
गावस्कर! सें भी आगू बढ़लै
हथिया नछत्तर केरऽ इ बरसा।
सुनै छेलियै इन्द्र सदाय सुखी
कानै छहो कैन्हें आय
देखी की भारत के दुर्दशा
हथिया नछत्तर केरऽ इ बरसा।
चुप रहऽ चुप्प रहऽ भाय
हम्में ही समर्थ आय
दुश्मन केॅ नै बढ़ेॅ देवै
चाहे बनेॅ वू कत्तो कसाय
ऐन्हऽ बरसऽ हुअेॅ अन्न
रहेॅ सब के मन हरसा
हथिया नछत्तर केरऽ इ बरसा।