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कलेॅ-कलेॅ / कुंदन अमिताभ

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कलेॅ-कलेॅ
गरै छै दूध
गाय केरऽ थऽन सें
दोल भरी जाय छै
कलेॅ-कलेॅ।
कलेॅ-कलेॅ
टपकै छै बूँद
सरंग सें
सागर भरी जाय छै
धरती तरी जाय छै
कलेॅ-कलॅे
कलेॅ-कलेॅ
बिखरै छै चाँदनी
चान सें
हृदय थमी जाय छै
दिल बहुराय छै
कलेॅ-कलॅे
कलेॅ-कलेॅ
भरै छै आग
सीना में मानव के
जोद्धा बनी जाय छै
देशँ के दुश्मन केॅ
धूरा चटाय छै
जंगभूमि में
कलेॅ-कलॅे