Last modified on 10 मई 2016, at 15:46

चीक रोॅ धोॅन / धनन्जय मिश्र

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:46, 10 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धनन्जय मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=पु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बकरी चरलै खेत किसान सरपट दौड़ा
देखै हिन्नें-हुन्नें पावै एक ना छौड़ा
बकरी चरलै ...

ककड़ी खेतोॅ में जब ढुकलै बकरी
खेतोॅ केॅ करलकै सत्यानाश
कतेॅ करनं छेलिऐ परीश्रम
सभ्भे तेॅ होय गेलै विनाश
जों तोरा पकड़तियौ रे छौड़ा
मारतियौ तोरा कोड़ा-कोड़ा।
बकरी चरलै ...

कत्तेॅ मनोॅ में अरमान छेलै
घरोॅ भरी केॅ परान छेलै
बकरी नें गुड़ गोबर करलकै
मनोॅ के आश मनोॅ में रहलै
बकरी वाली केॅ तनिको न लाज
जेना घरोॅ में तुलसी चौरा।
बकरी चरलै ...

बकरी पोसी केॅ तोरा छै लाभ
सोचै तोहें चमकतेॅ भाग
पड़ोसी सभ्भे केॅ लागै अघात
होकरा हिस्से कभाते कभात
बकरी चरैभै तेॅ दहिं खुटियाय
नै तेॅ पकड़ी केॅ देबोॅ अलगाड़ा।
बकरी चरलै ...

बकरी छेकै झगड़ा रोॅ जोड़
आरू छेकै गन्दगी रॉे घोॅर
हिन्नें-हुन्नें रोजे घिनैतो
जेकरा सें तोरो मोॅन चकरैतोॅ
हेकरा कहै छै चीकेॅ रोॅ धेॅन
नै तेॅ लागतौ रोज हथौड़ा
बकरी ...