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इससे पहले के बात टल जाए / फ़रहत शहज़ाद
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इससे पहले के बात टल जाए
आओ एक दौर और चल जाए
आँसुओं से भरी हुई आँखें
रोशनी जिस तरह पिघल जाए
दिल वो नादान शोख़ बच्चा है
आग छूने पे जो मचल जाए
तुझको पाने की आस के फल से
ज़िंदगी की रिदा न ढल जाए
बख़्त मौसम हवा का रुख़ जाना
कौन जाने के कब बदल जाए