लुत्फ़ जो उसके इंतजार में है
वो कहाँ मौसम-ए-बहार में है
हुस्न जितना है गाहे गाहे में
कब मुलाकात-ए-बार-बार में है
जान-ओ-दील से में हारता ही रहू
गर तेरी जीत मेरी हार में है
जिंदगी भर की चाहतों का सिला
दील में पैबस्त नोक-ए-खार में है
क्या हुआ गर ख़ुशी नही बस में
मरना तो इख़्तियार में है