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ऐलै शिशिर पिया / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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पिया, बसन्तॅ के अगुवाई करै लेॅ
शिशिर आबी गेलै
जेनां कभी तोरा लेॅ हम्में आबै छेलियै।

गाछ-बिरिछ के सब पत्ता झड़ी गेलै
सौंसे पलास वन देखतैं-देखतैं झाड़-झंखाड़ होय गेलै
-हमरे जिनगी जेन्हॅ

उज्जड-उज्जड दिन लागै छै
हमरे मॅन हेनॅ लागै छै
सब फूल झड़ी गेलै
नै झरलॅ छै, नै झुकलॅ छै
तेॅ एक केतारी
जे आभियो भाले नांकी गाड़लॅ सीधा छै।

पिया, आय कुन्द चतुर्थी छेकै
बहुतें राखनें छै ई परब
सुन छिय,
जें ई व्रत करै छै
होकरा मनौआ बॅर मिलै छै
हम्मू तेॅ कत्तेॅ बसॅ सें राखलेॅ ऐलॅ छियै
मतुर कहाँ मिललै मनबिच्छा बॅर
हाय, देखबो दुर्लभ।

सच कहै छियौ पिया
हमरा तेॅ कुछुबे नै देखाय छै
जों कुछकृू नजर आबै छै
तेॅ बस खाली पत्ता के गिरबॅ

पत्ता के झड़बॅ
पत्ता के ड़बॅ
हमरे जिनगी नांकी।