पिया ऐलै हेमन्त-2 / ऋतुरंग / अमरेन्द्र

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पिया ऐलै हेमन्त।
केना तोंय बनलोॅ छोॅ सन्यासी-सन्त
पिया ऐलै हेमन्त।

लत्तर परछत्ती के हाँसो बतियावै
संझकी सें खिली-खिली जीरियो जी जारै
कत्तेॅ बेलज्ज बनी एतनी टा जन्त
पिया ऐलै हेमन्त।

धूपो बीच कांपै कनकन्नोॅ छहार छै
देह-हाथ बरफे रङ लागै ठहार छै
धरती पर दौड़ै कुहासोॅ के रन्थ
पिया ऐलै हेमन्त।

तोहरे लेॅ जागौं दुआरी पर गेंदा
रातो में चौकै छी हम्मुँ भी कै दा
ऐलोॅ छै हमरे लिखावै लेॅ अन्त
पिया ऐलै हेमन्त।

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