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पिया चैता के हाँक / ऋतुरंग / अमरेन्द्र

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पिया चैता के हाँक
सुनथैं परासोॅ के खुललोॅ छै पाँख
पिया चैता के हाँक।

मानोॅ-मनुहारोॅ के मौसम की ऐलै
बान्हलोॅ सब सीमा के बाँध टूटी गेलै
गढ़िया नीनोॅ में छै पड़ी गेलै चाँक
पिया चैता के हाँक।

सब्भे कन हासोॅ, हुलासोॅ के बोहोॅ
देखोॅ नी आबी केॅ खलखल की होॅ होॅ
गोता पर गोता दै छाँकोॅ पर छाँक
पिया चैता के हाँक।

तोहें नै खाली ई चिठिये टा भेजोॅ
बान्ही केॅ राखलोॅ छी आपनोॅ करेजोॅ
चैतोॅ के ऐथें करेजोॅ दू फाँक
पिया चैता के हाँक।

जीहा के पातरोॅ ई चैत मास होलै
हमरोॅ लेॅ बातरोॅ ई चैत मास होलै
बुतरू के हाथोॅ में सुग्गा के पाँख
पिया चैता के हाँक।

-12.6.2000