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आंख मिचैनी विजली खेलै / छोटे लाल मंडल

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आंख मिचौनी बिजली खेलै,
कखनी अैइलै कखनी भुक्क
वस्ता लै कै दौड़ले वुतरू,
क्षण में मटकी मारै झुक्क।

सपना छै भनसिया के सामनें
दीया वाती के वेरिया में,
भ्रष्ट युगों में किल्लत भारी
तेल किरासन पाचै में।

भुक्क भाक सव हमरै लेली
नेतवा के घोर उजागर छै,
बिजली केरो बिल वांकी छै
तय्यो हरवक्त उजालै छै।

काला धन तै होकरै हाथें
साठें गाठें छै साहूकार,
सरकार चलावै सरदारी मै
भ्रष्टाचार केरो वफादार।