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हेमन्त के हाँक / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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मुनादी
है जे ढिंढोरा पीटनेॅ आवै छै
शिशिर ऋतु के आगमन के,
हेमन्त छेकै।
देखै नै छौ
की रं कपकपाय गेलै धरती,
हेमन्त के हाँक सुनथै
सिहरी गेलै सुकुमारी शरत के देह
डरलोॅ-डरलोॅ आँखी सेॅ
देखी रहलोॅ छै, हेमन्त दिश
सारस, हंस, क्रौंच, चकता
आरो कारण्डव
छिपेॅ लागलोॅ छै, मछली
पानी सेॅ नीचेॅ बालू मेॅ।
मुरझाय गेलै कमल
पोखरी में, झीलोॅ में
झुकाय लेलकै मूड़ी
नै खाखी काशवन
सहमी गेलै आकाश मेॅ तमतमैतेॅ सुरुजो
कैन्हेकि आवी गेलोॅ छै
शिशिर ऋतु के आगमन के
ढिंढोरा पीटतें, हेमन्त।