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सौंसे जनम अकारथ भेलोॅ / दिनेश बाबा

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सौंसे जनम अकारथ भेलोॅ
आबेॅ मन पछतावै छै
मूढ़मती छिकाँ प्रभु हमरा तेॅ
कुच्छु नैं आवै छै।

सकल चराचर के स्वामी छोॅ
प्रभु रक्षक सबके तोहीं
पापी हम सब करम पापमय
पाप हरणकर्त्ता तोहीं
तोरे शरण में अर्पित मन
कीर्त्तन तोरे गावै छै।

दुखिया सब जन यहाँ पेॅ
के केकरा संग प्यार करै छै
अरबद्धी केॅ लोग परस्पर
दुःखोॅ के वार करै छै
तखनी आरत प्राण होय छै
तोरे गोहरावै छै।

ममता मोहित, मोहजाल में
मूढ़ मानुष मन अंधा छै
जुआ उठाय छै जिनगी के
भारोॅ सें झुकलोॅ कंधा छै
लीलाधर भगवानोॅ के
माया सबकेॅ नचावै छै।

बहुधा ध्यान विरत
सब छल-बल में फंसलोॅ छै
कष्ट सहै छै निज कुकर्म के
फाँसोॅ में कसलोॅ छै
दयासिन्ध तोरे कृपा नें
तभियो सकेॅ बचावै छै।