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जहिया सें बीहा करी केॅ आनलक / दिनेश बाबा

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जहिया सें बीहा करी केॅ आनलक
शुरु-शुरु में खुब्बे मानलक
हवड़ा पुल, विक्टोरिया देखलौं
ताजमहल आरू कुतुबमीनार
किसिम-किसिम के जीन्स किनलियै
तहिया तेॅ छेल्हौं बहारे बहार
कलकत्ता में कमाय छेलै हुनी
सबनें कहै छेलै कलकतिया
की कहियौं बहिन मनोॅ के बतिया।

2.

दिन बितलै, ऐलै ई जमाना
मंहगा होय गेलै दाना-दाना
सब्भैं नें हाड़ तोड़ी काम करै छै
तय्यो नैं सत्तू, रोटी पुरै छै
मंहगी भी बढ़ी आकाश दुवै छै
मन में मबकेॅ ही विश्वास हुवै छै
आबेॅ की खैतोॅ, आबेॅ की पिन्हतोॅ
बोलै के नैं छै ई बतिया
की कहियौ बहिन मनोॅ के बतिया।

3.

चार बेटा आरू पाँच बेटी छै
पलटनमा, घोलटनमा, बब्लू आ डब्लू
गंगा, जमना, कृष्णा आरू सोनी
नशबंदी सें ही डरी केॅ हमरोॅ
लिखलोॅ ऐन्हें दशा रहै होनी
सबसें छोटी बेटी छै हमरी
नाम होकरोॅ द्रौपदी रखलियै
आबेॅ सबनें कहै छै दुरपतिया
की कहियौं बहिन मनोॅ के बतिया।

4.

बड़का बेटा होलै सियानोॅ
सात किलास तक पढ़ी-लिखी केॅ
चिट्ठी-पत्री लिखैलेॅ नैं जानै
मनोॅ रोॅ सोचलोॅ, मनै में रहलै
बच्चा-बुतरू कोय नैं पढ़लै
पढ़ै घड़ी गाय छै सिनेमा रोॅ गाना
सुनै लेॅ पड़ै छै सब्भे रोॅ मुँहोॅ सें
बिगड़ी गेलै बेटा के मतिया
की कहियौं बहिन मनोॅ की बतिया।

5.

दू बेटा के बीहा लगै छै
तिलक, दहेजोॅ के बातो चलै छै
सीओ. कन एक ठो छै चपरासी
दोसरोॅ समधी टीसन खलासी
बेटा मतर हम्ेमं ऐसें बिहैवै
तिलक के एक्को नैं टका गिनैवै
टोला-पड़ोसी केॅ भोजो खिलैवै
लौनी, धोबिन केॅ, नुंगो पिन्हैवै
सुख करवोॅ ऐती जे पुतोहू
खुब्बे हम मनैबोॅ सुकरतिया
की कहियौं बहिन मनोॅ के बतिया।

देह टुटलै, धरकै आबेॅ दम्मा
बुढ़वा एकदम होलै निकम्मा
कोय नैं पूछै छै खाहुलेॅ हुनका
हम्में बोलै छी तेॅ मिलै छै ठुनका
रूसवोॅ की आबेॅ, कोय नैं मनावै छै
बेटा पुतोहू नें हरदम कनावै छै
कहियो उरेब नैं जेकरा कहलियै
वही सब कहै छै हमरा कुतिया
की कहियौं बहिन दुखोॅ की बतिया।

7.

पकलोॅ केश आबेॅ धरतिहां खाटी
कामोॅ के ओर नैं, निम्मर छै काठी
घर-गिरहस्थी भी सब्भे सम्हारै छी
सब्भै के दुःखोॅ केॅ अपना पर वारै छी
तय्यो लुकाठ छी, हम्हीं एक घूरोॅ के
सब्भै के कामोॅ लेॅ अपना केॅ जारै छी
तभियो कोय मिट्ठोॅ नैं बोल एक बोलै छै
हरदम सबनें कहथौं कुबतिया
की कहियौं बहिन दुखोॅ के बतिया।

पिछला हौ दिनोॅ के याद बड़ी आवै छै
खटमिट्ठी याद मजकि कसको जगावै छै
कुटिया-पिसिया करी-करी हे बहिन
बीती गेल छौंन हमरोॅ जुआनी
कटियोटा सुख कभी नैं हम्में देखलौं
बस यही, एतने छौं हमरोॅ कहानी
सब्भै करोॅ बदला में कामो करै छी
धरी लै छै आबेॅ कम्मर हमरोॅ
टूटै छै बदन आरू दुक्खै छै छतिया
की कहियौं बहिन दुखोॅ के बतिया।