भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मन्दार बोलै छै / रामनन्दन 'विकल'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:32, 1 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKPustak |चित्र= |नाम=मन्दार बोलै छै |रचनाकार=रामनन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मन्दार बोलै छै
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | रामनन्दन 'विकल' |
---|---|
प्रकाशक | अंगिका विकास समिति, दुमका |
वर्ष | 1993 |
भाषा | अंगिका |
विषय | |
विधा | कविता |
पृष्ठ | 24 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
नोट: इस संकलन में केवल दो रचनाएँ ही हैं।