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बैमनमां पिया / परमानंद ‘प्रेमी’
Kavita Kosh से
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सखि हे पियबा भेलै बैमनमां कहिक’ नैह’ ऐलै ना
कहल’ छेलै अठमी रोज जैभौं
असरा लगैहऽ मोर।
साया, नुंगा, अंगिया लै जैभौं
कसिक’ बानिहऽ छोर॥
कहिक’ नैह’ ऐलै ना सखि हे पियबा भेलै बैमनमां
दिन भर टक-टक बाट जोहैलों
रातियो नैं ऐलै बैमनमां।
सभ्भै के सेज सुहानों भेलै
सुनों हमरऽ ऐंगनमा॥
कहिक’ नैह’ ऐलै ना सखि हे पियबा भेलै बैमनमां
छटपट करिक’ रात गुजारलों
रहि-रहि फाड़ै करेजबा।
पिया निर्मोहिया दरद की जानै
बैठलऽ रूसी क’ घरबा॥
कहिक’ नैह’ ऐलै ना सखि हे पियबा भेलै बैमनमां
कहै ‘प्रेमी’ सुनऽ हे लछमी
धीरज राखऽ मनमां।
अठमीं में पियबा जो नैह’ ऐल्हौ
गौना करथौं अघनमां॥
कहिक नैह’ ऐलै ना सखि हे पियबा भेलै बैमनमां