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ओरहा पकैवैना / श्रीस्नेही

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चले-चले छोटकी बगिचबा मुनिया ओ रहा पकैबै ना!
कलेॅ-कलेॅ बोलें रे मसुदना हमरा मैयाँ झांटतऽ ना!!
अच्छा हम्में तबेॅ जाय छियौ मुनिया आगिन लेॅकेॅ तोहें ऐहें,
पल्लो हँसोती केेॅ हम्में राखबौ तोहें सुलगैहें ना!
गैया-बकरिया के होय गेलौ बोढ़लऽ माय के अब बथनिया
पल्लो चुनै लेॅ जाय छियौ हम्में राती जरैहें ना,
जैबाँ जेॅ जाय छे मुनिया जल्दी ऐहेंना
पल्लो के खातिर जों हड़िया नै चढ़तौ तबेॅ हम्में पूछबौ ना,
केन्ही दबै लें डयिा लेलकी गोयठा पेॅ आगिन ना।
वैही आगिन सें पल्लो सुलगैलकी पहूंची बगिचबा ना!
घूरी में पल्लो मुनिया झोंकै बूट-झार मसुदना ना,
बोलै भटाभट खनकै कँगनमा झूमै मसुदना ना।
झटपट झाड़ी-झूड़ी चिवैलकी बूटऽ के ढेढ़िया ना,
नाक पै कैरखी गालऽ में गरदा माथा पै कुकबा ना।
लेॅकेॅ टिकोलबा डरली मुनिया ऐली जे अंगना ना,
माथा पेॅ कैरखी गालऽ पे गरदा कहाँ लगैल्हैं ना।
पल्लो लानैलेॅ तोहें जे गेल्हैं कहां रमैल्हैं ना,
नाना के बीहा देखैबी मुझरकी तोर है जरैवौ ना,
देखीकेॅ बाघिन माय के सुरतिया मुनिया परैली ना,
गामों-टोला के लोधौं नें जानलक मुनिया के खिसबा ना!