Last modified on 8 जून 2016, at 03:16

प्रभु जी हमरौ टिकिट दिलावोॅ / अमरेन्द्र

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:16, 8 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=कुइया...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रभु जी हमरौ टिकिट दिलावोॅ।
ई दलपिट्ठी आरो गोलत्थी पर गै तोंय जिलावोॅ।
तोहें बैठले-बैठले मन्दिर में रसगुल्ला चाभोॅ।
हमरा उपवासे पर राखोॅ दीनदयाल कहावोॅ।
तोरोॅ किरपा सेँ लेंगड़ोॅ जाय सिंहासन पर बैठलै।
अन्हरा आँख नचावेॅ लागलै, नेम पुरातन टुटलै।
बहरो वीणा पर झूमै छै ऋणियाँ धनियाँ भेलै।
आँख-टाँग नै कानो माँगौ, प्रभु जी टिकिट दिलावोॅ।
अमरेन्दर के रूचि राखोॅ आपनोॅ लाज बचावोॅ।