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आबेॅ मरदे ही मरदोॅ संग बीहा करतै / अमरेन्द्र

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आबेॅ मरदे ही मरदोॅ संग बीहा करतै
माँग सजैतै मौगी रोॅ मौगी ही आबेॅ
जे चाहॅे कलियुग रोॅ ठाड़े पुण्य कमावेॅ
केकरोॅ हिम्मत छै कटियो टा छीया करतै
मरदोॅ रोॅ किंछा आबेॅ कि माय बनेॅ ऊ
पूतवती नै होय लेॅ चाहै जोॅर-जनानी
दूधोॅ रोॅ बदला मेँ चिलकां पीयै पानी
सब रोॅ किंछा गाँती छोड़ी ‘टाय’ बनेॅ ऊ
लाज-वीज रोॅ परिभाषा सब सुटियैलोॅ छै
नया हवा रोॅ छोड़ी आपनोॅ कमर हिलावै
पहलवान जी आपनोॅ डाँड़ोॅ पर खिसियावै
पलटनियाँ खैलेॅ छै दुनियां, भटियैलोॅ छै
मरदोॅ रोॅ हत्था-गोड़ोॅ ताँय ढकलोॅ अंगा
हाथ भरी रोॅ नुँगा मेँ तिरिया छै नंगा।