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बगुला भगत / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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मेढ़क, मछली, कीड़ा भोजन
उड़ै कोस की, सौ-सौ योजन
ऊजरोॅ आरो रंग सलेटी
बैठै छै तेॅ पंख समेटी।

एक टांग पर खाड़ोॅ रहतै
केकरो सें कुछुवो नै कहतै
गर्दन जों अंगरेजी के एस
बगुला वास्तें एतनै टा बस।