भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिच्छू / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:46, 9 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रप्रकाश जगप्रिय |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिच्छू के छै कत्तेॅ टांग?
कै टुकड़ा में एकरोॅ आंग?
कै जोड़ी छै एकरा आँख?
की एकरौ तितली रं पाँख?
की की खाय छै, कहाँ रहै?
दिन; की राती में निकलै?

बिच्छू केॅ आठ ठो छै टांग
दू खंडोॅ में एकरोॅ आंग
छोॅ जोड़ी तक एकरोॅ आँख
तितली रं नै एकरा पाँख
कीड़ा खाय छै लकड़ी तोॅर
लकड़ी-पत्थर एकरोॅ घोॅर
राते में ई सैर करै
आदमी तक सें बैर करै।