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झिन्नुक आरो दादी / अमरेन्द्र
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कहाँ हेरैलै नयका झिन्नुक,
दैया के दिल धुक-धुक, धुक-धुक।
लू लगतौ ई कड़ा रौद में,
बाहर नै जों रुक-रुक, रुक-रुक
चार औंगरी के चौड़ा पटरी,
रेल वही पर छुक-छुक, छुक-छुक!
कपड़ा-लत्ता सब नानी दै,
पैसां दै में धुकचुक, धुकचुक।
ढिबरी, लालटन, दीये-अच्छा
बिजली तेॅ बस भुक-भुक, भुक-भुक।
भोरे सें चिकरै छै दादी,
कहां हेरैलै नयका झिन्नुक?