भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ढम्मक-ढम / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:16, 11 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=ढोल ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक्को रोटी मिलै जों कम
काका रोॅ मूँ तम-तम तम
ढम्मक-ढम
कत्तो अच्छा आलूदम
पेट बचाय केॅ कम्मे कम
ढम्मक-ढम
हम्में खैलौं दू चमचम
हेकरै में फूलै छै दम
ढम्मक-ढम
खाय-खाय केॅ पेटू बेदम
पेटू केॅ लै गेलै जम
ढम्मक-ढम
ढम्मक-ढम, ढम्मक-ढम
खा कम्मे कम, ढम्मक-ढम ।