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ढोल बजै छै ढम्मक ढम / अमरेन्द्र
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बुतरु के तुतरु
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रचनाकार | अमरेन्द्र |
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प्रकाशक | समय साहित्य सम्मेलन, बाँका |
वर्ष | 1994 |
भाषा | अंगिका |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 48 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- हे भगवान / अमरेन्द्र
- मुर्गा / अमरेन्द्र
- मछली / अमरेन्द्र
- छाता / अमरेन्द्र
- कौआ / अमरेन्द्र
- नाना रोॅ घोॅर / अमरेन्द्र
- जाड़ा / अमरेन्द्र
- महाकवि सुमन सुरो / अमरेन्द्र
- बकरी / अमरेन्द्र
- दीवाली / अमरेन्द्र
- नया युनियन / अमरेन्द्र
- पढ़वै-लिखभै / अमरेन्द्र
- लार्होॅ / अमरेन्द्र
- भोर / अमरेन्द्र
- चाँद / अमरेन्द्र
- गाँधी बाबा / अमरेन्द्र
- धुम्मा / अमरेन्द्र
- बादल / अमरेन्द्र
- रेल / अमरेन्द्र
- ढोल / अमरेन्द्र
- ढम्मक-ढम / अमरेन्द्र
- वर्ण कविता (1) / अमरेन्द्र
- वर्ण कविता (2) / अमरेन्द्र
- नाम बताव / अमरेन्द्र
- बोली / अमरेन्द्र
- शिक्षा / अमरेन्द्र
- भालू / अमरेन्द्र
- पुरुष पंचांग / अमरेन्द्र
- हाथी / अमरेन्द्र
- फक्कड़ दा रोॅ पाठ / अमरेन्द्र
- मामा बड़ा ही सुन्दर छै / अमरेन्द्र
- डोमन दा / अमरेन्द्र
- ऊँट / अमरेन्द्र
- जोड़ / अमरेन्द्र
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