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मामा बड़ा ही सुन्दर छै / अमरेन्द्र

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मामा बड़ा ही सुन्दर छै ।

जगथैं शोर मचावै छै
धम-धम करलेॅ आवै छै
खाय लेॅ खोजै रही-रही
ढूँढ़ै दिन भर दूध-दही
कुछ नै कुछ मिलिये ही जाय छै
किस्मत केरोॅ सिकन्दर छै
मामा बड़ा ही सुन्दर छै ।

खाय केॅ निकली डकरै छै
सब पर रही-रही चिकरै छै
चिकने-चिकने खाली खाय
छिपली-छिपली दूध-मलाय
जोॅन घरोॅ में खोआ-पेड़ा
समझोॅ मामा अन्दर छै
मामा बड़ा ही सुन्दर छै ।

मामा मानें चप-चप-चप
रसगुल्ला सब गप-गप-गप
पूड़ी-कचैड़ी हप-हप-हप
जिब्भा दिन भर लप-लप-लप
हम्में कुछ माँगियै तेॅ बोलै
ई तेॅ बड़ा छुछुन्दर छै ।
मामा तभियो सुन्दर छै ।