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बोली / अमरेन्द्र
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उल्लू तेॅ घुघुआवै छै
मुर्गा बाँग लगावै छै
हिनहिनावै घोड़ा छै
गड़-गड़-गड़-गड़ सौढ़ा छै
मूसोॅ करै छै चूँ-चूँ-चूँ
कुत्ता भूकै भूँ-भूँ-भूँ
भले कबूतर गुटरू-गूँ
कुत्ता बच्चा कूँ-कूँ-कूँ
बेंग सिनी टर्रावै छै
बाघ मतुर गुर्रावै छै
सिंह दहाड़ै बड़ा गजब
झिंगुर झन-झन जेना अजब
गदहा रेंकै रेंकले जाय
बकरी संग भेंड़ा मिमियाय
सुग्गा रटै छै टें-टें-टें
बत्तख जेना कें-कें-कें
बैल डकारै, गाय रंभावै
मक्खी भिन-भिन करलेॅ आवै
चिघ्घाड़ै हाथी की जोर
कूजै वन-वन बत्तख-मोर
कानै गीदड़, अहि फुँफकारै
कौआ काँव-काँव गल्लोॅ चीरै
बिल्ली मौसी बोलै म्याऊँ
नै पूड़ी तेॅ मूसे खाऊँ ।