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प्रेमगीत / मुकेश कुमार सिन्हा

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ताजमहल की
एतिहासिक पृष्ठभूमि
यमुना नदी के जल की
कल कल...
और
हम तुम!!
खामोश जुबान
खामोश निगाहें..
पर
गुनगुनाता दिल!!
जब हो हाथ में हाथ
साथ में हो वो!!!
ऐसी हो प्रीत!!
बेशक न हो साथ
तो भी काल्पनिक
क्षणिक
स्वप्न!!
उसके साथ का...!
ला देती है
मनभावन
सुखद
खुबसूरत
मादक -
अहसास!!!
भर जाते हैं
गुदगुदाते
जज्बात...!!
करते हैं
नृत्य!!
खिलखिला उठता है
मनमयूर...!!
तुम्हारी अनुभूति
और तुम...
मेरे लिए अनमोल...