भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तकिये की प्रेम कहानी / मुकेश कुमार सिन्हा

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:12, 11 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश कुमार सिन्हा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दो तकिये की प्रेम कहानी
चादर की जुबानी
एक पर बना था प्रेम प्रतीक
दूजे पर अलसाई पड़ी थी
एक हसीना दीवानी
थी आँखों में खुमारी
था अलसाया खवाब
जो बसा था प्रेम के
सुहाने समंदर में
तकिये पे बने प्रेम प्रतीक ने
ली देखकर आहें
तो हसीना के नीचे पड़ा दूजा
मचल पडी कह उठी
क्यूँ तडपाते हो
लिख दो न इस चादर पर
एक नई प्रेम कहानी