भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऊंट ताऊ / दिनेश बाबा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:25, 11 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश बाबा |अनुवादक= |संग्रह=हँसी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऊँट ताऊ जी लटर-पटर
काँपै थोथनों पटर-पटर
जब अपनो मूं खोलै छै
बल-बल करी केॅ बोलै छै
मरूभूमि के छिकै जहाज
जहाँ छै अभियो होकरे राज
गेलै एक दिन ऊँट सहर
घुरतें होलै तीन पहर
भूख होकर जब जागेॅ लगलै
पेट में चूहा भागेॅ लगलै
खैलके एक दुकानों में
थेग न भेल जलपानों में
नस्ता, जना कि दूध में जोरन
ऊँट के मुँह जीरा के फोरन