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टिक टिक टिक टिक करै सुबचनी / दिनेश बाबा

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टिक टिक टिक टिक करै सुबचनी
होलै फतिंगा होकरो चटनी
छड़ी गुरू जी फटकारै छै
चटिया केॅ लगलै धुरपट नी
बेंत गुरू जी के बोलै छै
पाठ सिहारें खोढ़ा रट नी
हमरा भी पट्टी लानी दे
मनियां केॅ लगलो छै रटनी
खेल कबड्डी, छुट्टी भेल छौ
दू भागोॅ में जल्दी बँट नी
हरवाही सें ऐलै कक्का
खूब हुवै छै हुनको खटनी
पाकी गेलै फसल खेत रोॅ
काल्हे सें लगलोॅ छै कटनी
भुखलोॅ पेट दही चूड़ा छै
गूड़ मिलाय खैतै धरपट नी