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कैसे जिएँ कठिन है चक्कर / केदारनाथ अग्रवाल

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कैसे जिएँ कठिन है चक्कर

निर्बल हम बलीन है मक्कर

तिलझन ताबड़तोड़ कटाकट

हड्डी की लोहे से टक्कर ।