गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 1 अप्रैल 2014, at 12:20
कैसे जिएँ कठिन है चक्कर / केदारनाथ अग्रवाल
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
केदारनाथ अग्रवाल
»
फूल नहीं रंग बोलते हैं
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
कैसे जिएँ कठिन है चक्कर
निर्बल हम बलीन है मक्कर
तिलझन ताबड़तोड़ कटाकट
हड्डी की लोहे से टक्कर।