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गीत नये गायें / प्रदीप शुक्ल

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उन्ही पुरानी
बातों को
अब कब तक दुहरायें
नए स्वरों में
नई तरह से गीत नये गायें

कब तक
चाँद निहारे
गोरी खड़े खड़े अँगना
मोबाइल से बात करे
जब याद करे सजना

सजनी बोले
आयें तो सब्जी लेते आयें

फूल फूल पर
भंवरे गायें
गाने दो उनको
माली का बच्चा जो कहता
उसकी बात सुनो

बप्पा घर में
दाल नहीं है, खाना क्या खायें

रिमझिम
बारिश की
बातें तो बुधिया ही जाने
कैसे उसकी रात कटी
बिस्तर के पैताने

पुरवाई में
रुदन भरे सुर उसके लहरायें।