भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छोडोॅ-छोडोॅ पियाजी / शिवनन्दन 'सलिल'

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:30, 14 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सकलदेव शर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खुली गेलै गूथल खोपा छिरियैलै गजरा
छोडोॅ-छोडोॅ पियाजी ओझरैलै अंचरा

भांगी गेलै सबटा चूडी टूटी गेलै कंगना
खुललै नाक के रोॅ नथ चोली के रोॅ फुदना
लटघट मांगी केॅ सिनूर आँखी के कजरा
छोडोॅ-छोडोॅ पियाजी ओझरैलै अंचरा

उडलोॅ चेहरा के रग
लचलोॅ देखी अंग-अंग
भोरैं ननदी कुढैतै, मुसकैतै देवरा
छोडोॅ-छोडोॅ पियाजी ओझरैलै अंचरा

थकी हारी चान तारा
दाबेॅ लगलै किनारा
मधु पीबी पीबी पीबी मधुऐलै भंवरा
छोडोॅ-छोडोॅ पियाजी ओझरैलै अंचरा ।