तेरह / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह
चैत हे सखी डारी डारी फूलवा, अमुआ महुवा मंजराय हे
जौ बूँट गहूमो के, सोना रङ बलिया सतुआ परब बिसुराय हे।
बैसाख हे सखी माँगै लियौनमा, ऐंगना पहुनमा मुसकाय हे
छोटकी ननदिया, बड़ी हरजइया, भौजी अँचरवा तर नुकाय हे।
जेठ हे सखी गुज गुज अन्हरिया, बुनी झरैछै छिरियाय हे
कोन्टा ओहरिया, ओलती दुअरिया, सरगत चुनरिया लजाय हे।
अषाढ़ हे सखी मुख रे मलिनवा, मुँदरी बुलकिया नै सोहाय हे
बीतलै फगुनमा, तीतलै नयनमा, सुधियो नै लै छै हरजाय हे।
सावन हे सखी सुन्दर सोहावन, बाबा मिलन अनमोल हे
गंगाजल भरी भरी, काँवर उठावै, केसर चनन बम बोल हे।
भादो हे सखी भदवारी दिनमा, बहियाँ सनेहिया सोहाय हे
जंडा के रोटी नोन, कोसी के पनिया, धनिया मिरचैनिया संग खाय हे।
आसिन हे सखी शरद पुरनिमा, अमरित बरसावै असमान हे
रास रचावै कान्हा, गोकुला नगरिया, राखै गोपिका के मान हे।
कातिक हे सखी यम यमी दुतिया, रङ रङ के पुआ पकवान हे
बहिनि सोसरारी मेॅ, भैया पहुनमा, चन्दन तिलक दूबी धान हे।
अगहन हे सखी गर्व गुमानी, सब सें बजाबै छै गाल हे
समटैतै धनमा, बौखलैतै मनमा फेरू होतै पिछलै हाल हे।
पूस हे सखी सगरे धूप छँइया, मोकनी मौपिट्ठी पर गुमान हे
जाड़ो सेॅ हाड़ काँपै, भुटकै जे रोइयाँ बोरसी तापी केॅ बचै जान हे।
फागुन हे सखी ननदी गउनमा, ढरे ढरे खसै नैना लोर हे
एक ओर अहे भौजी, तोरो ऐंगनमा, दोसरो पहुनमा के जोर हे।