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अब जो दिन आयेगा / जयप्रकाश मानस

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(छत्तीसगढ़ राज्य गठन पर)


सिर्फ़ एक ही अर्थ होगा

धान की पकी बालियों के झूमने का

आँखों में जाग उठेगी

नदी की मिठास

पर्वतों की छातियों में

उजास और पूरी-पूरी साँस

आम्र-मंजरियों की हुमक से

जाग उठेंगी दिशाएँ

सबसे बड़ी बात होगी

अब जो दिन आएगा

नहीं डूबेगा किसी के इशारे पर

सबसे छोटी बात

रात आएगी सहमी-सी

और चुपके से खिसक जाएगी

आँख तरेरते ही