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भारत माता के रखवाले! / शम्भुनाथ तिवारी

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ओ, सीमा के सजग सिपाही,
भारत माता के रखवाले!

दुर्गम – बर्फानी चोटी पर,
हँसकर कैसे रह लेते हो!
अपने मन की मूक व्यथाएँ,
चुपके – चुपके सह लेते हो।
त्याग तुम्हारा क्या जानेंगे,
नींद चैन की सोने वाले।
ओ, सीमा के सजग सिपाही,
भारत माता के रखवाले!

तुमने बड़े-बड़े दुश्मन का,
गला एक पल में घोटा है।
आज तुम्हारे कद के आगे,
तुंग हिमालय भी छोटा है।
रहते हो चट्टान सरीखे,
शेरों जैसी हिम्मत पाले।
ओ, सीमा के सजग सिपाही,
भारत माता के रखवाले!

देश तुम्हारे दम पर प्यारे,
सुखमय जीवन काट रहा है।
आपस में मिलकर, खुशहाली,
बच्चा-बच्चा बाँट रहा है।
जड़ से उन्हें मिटा दो प्रहरी,
बुरी नजर जो हम पर डाले।
ओ, सीमा के सजग सिपाही,
भारत माता के रखवाले!

तुमसे ही सारी दुनिया में,
भाल हुआ भारत का ऊँचा।
सचमुच आज तुम्हारे ऊपर,
गर्व कर रहा देश समूचा।
वीर पहरुए,बिना तुम्हारे,
माँ की थाती कौन सम्भाले?
ओ, सीमा के सजग सिपाही,
भारत माता के रखवाले!