फ्लावर वास / मुकेश कुमार सिन्हा
महंगे कीमती फ्लावर वास में
करीने से लगा व सजा मेरा जीवन
मूल पौधे से कट कर फिर भी
पानी व खाद के साथ
एसी कमरे मे सजा कर
बढ़ा दी गई लाइफ मेरी
पर कहाँ रह पाता मेरा जीवन
वो पौधे से जुड़े रह कर खिलना
और फिर गर्मी व अंधड़ में
जल्द ही मुरझा जाना
मुझे तो दे दो ऐसा ही जीवन
दरख्तों से जुड़े रह कर
मुसकाना, खिलखिलाना
और फिर यूं ही गिरती पंखुड़ियों की
बिछती शैया मे शामिल हो जाना
मैं तो चाहता बस ऐसा ही जीवन
पर रासायनिक खादों से भरपूर
जीवन देकर, फिर तोड़ कर
अंततः फ्लावर वास में सजा कर
मत करो बरबाद मेरा जीवन
बिखेरने दो सुरभि मुझे
पराग निषेचन के लिए
आने दो मेरी पंखुड़ियों पर
तितलियों व भँवरों को
जुड़े रहने दो मुझे कंटीली झड़ियों से
मानों न एक खिलते फूल
का सादर निवेदन
मुझे दे दो मेरा जीवन!!