भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संसार / हरीशचन्द्र पाण्डे

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:30, 5 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीशचन्द्र पाण्डे |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

निःस्सार है संसार

ठहरे पानी में वृत्त की तरह फैलता है
एक बयान

बंजर ज़मीन
अपने बंजरपन पर नाज़ करने लगती है

लगभग ठीक उसी वक़्त
एक शिशु
इस पृथ्वी पर अपनी पहली किलकारी मारता है...