Last modified on 5 जुलाई 2016, at 07:34

अक्सर / सुशान्त सुप्रिय

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:34, 5 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशान्त सुप्रिय |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक युद्ध से
दूसरे युद्ध तक ही होती हैं
सभी कैमरों की यात्राएँ
इसलिए शांति की तस्वीर
अक्सर कोई नहीं लेता

एक चमक से
दूसरी चमक तक ही जाती हैं
सभी दृष्टियाँ
इसलिए सादगी अक्सर
अनदेखी रह जाती है

एक चीख़ से
दूसरी चीख़ तक ही सुनते हैं
सभी कान
इसलिए मौन की धड़कनें अक्सर
अनसुनी रह जाती हैं

एक मिथक-गाथा से
दूसरी मिथक-गाथा तक ही जा पाती है
हर सभ्यता और संस्कृति
इसलिए जीवन के कटु सत्य अक्सर
किंवदंतियों के बाहर रह जाते हैं