अप्प दीपो भव / शुद्धोदन 4 / कुमार रवींद्र
याद आई
राजा को
ऋषियों की बानी
जन्मेगा एक पुत्र इस कुल में
जो कुल को तारेगा
सबके प्रति
करुणा के मन्त्र वह उचारेगा
युगों-युगों गूँजेगी
उसकी ही
कीर्ति की कहानी
आया था वही
महामाया की कोख में
उससे ही कुल पूरा
ख्यात हुआ लोक में
किन्तु नहीं बचा कोई
कुल में अब
देने को पानी
एकाकी वे हैं बस
सूना है सभागार
राजपाट है
अंतिम साँसों का हुआ भार
और हैं समस्याएँ
कई तरह की जानी-अनजानी