भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अप्प दीपो भव / आम्रपाली 3 / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:30, 5 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार रवींद्र |अनुवादक= |संग्रह=अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
और...
आम्रपाली की उम्र हुई -देह ढली
सारे सम्मोहों से परे हुई
गर्व चुका
साँसों का रथ आकर
यमपुर के द्वार रुका
झरा हुआ पात हुई
जो रही कुसुम-कली
साँस थकी
मन की आस्थाएँ
अब हुईं और
आत्मा भी उसकी है
खोज रही नया ठौर
भीतर हर कोने में
करुणा की जोत जली
जनपदकल्याणी का
रूप ढहा -मन महका
फल चखता जो पंछी
और नहीं वह चहका
थी अनाथ
और हुई वह खाली अंजली