निरंकार प्रभु अपरंपार। पूरन प्रगट भये ऊँ कार॥
आदि गुरु नारायण कहये। लक्ष्मी शिष्य वरत निरवहिये॥
वि-ष्वक् सेन सुरसेन कहाये। श्री शठकोय नाथ मुनि गाये॥
पद् विलोचन राम सुजान। यामुन मुनि को महापुरान॥
श्रुतिपर आज सुकीरत कीन्हा। रामानुज कुल तारक चीन्हा॥
पद्म नयन पुनि देवाचार्य। हरि-आनन्द कियो हरि-कार्य॥
राघवनन्द के रामानन्द। जिनके उगे सुरसुरानन्द॥
वेइलियानन्द सिडारिया स्वामी। चेतन वडे विहारी हामी॥
रुरो रामदास मसनंद। जिनके विमल विनोदानन्द॥
तिनको सेवक धरनीदास। गुरु प्रणाली कियो प्रकाश॥