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विनौकी / शब्द प्रकाश / धरनीदास

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138.

आतम दुलहिन वर मन मान। आतम परमातम नहि आन।
सतगुरु शब्द कइल अगु आय। भँवरा ले ऐलहिँ लगन लिखाय।
बाबा करमसेनि रहल ठगाय। माय मोरि माये परलि मुरुझाय।
तिनि भैया मोरा बाजन बजाव। पाँच बहिनि मिलि मंगल गाव।
कोहवर भरहिँ पचीसो चेरि। नचलिहिँ मन मति बेरहिँ बेर।
धरनि विनौकि गावै दसम दुवार। चिन्हलीं सास मिलल परिवार॥1॥