वृद्धों को भूख लगती है
वे माँगते हैं खाना
उन्हें मिलता है ताना
इस उमर में भी इतनी भूख ?
उनकी आँते चिकोटी काटती हैं
वे पानी पी पी कर
उन्हें सहलाते हैं
कुछ किसी से कह नहीं पाते हैं
उसे व्रत उपवास का नाम देकर
स्वयं को बहलाते हैं।
वे बड़े सम्पन्न घरों के हैं
अपना हाथ खाली कर चुके हैं।
दूसरों के आगे
हाथ पसार नहीं सकते,
अपने हाथ बटोर चुके हैं।
वे गम खाते हैं, कम खाते हैं
और खोखले होते जा रहे तन में
शक्ति की कल्पना करते
काम में जुट जाते हैं।