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भजन बिन भयो भार को झार / संत जूड़ीराम

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भजन बिन भयो भार को झार।
हितकर भयो विघल काल बस लोटन कूल निहार।
ठाहु डंब पाखंड बिबूचो रुच रुच करत समार।
जहढ़ों आय जगत जह डायो भूलन परी अपार।
बेजल को दरयाव भरो है बहुत खरेरी धार।
दुबधा भार लाद सिर ऊपर डूबी बीच दहार।
चार जुग जुग जाम सिराने हिये न मानी हार।
जूड़ीराम कर्म की मटुरी सको न कोई टार।